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ऑरेंज जोन होने के लिये जो सबसे महत्वपूर्ण पहलू है वो है पिछली बार कितने दिन पहले मामले आये है और अगर आपके जिले को ऑरेंज जोन/ग्रीन जोन/रेड जोन में रखा गया है तो ये सबसे मुख्य है अगर आपके जिले मे पिछले 21 दिनों से कोई कोरोना का मामला नही आया है तो आप ग्रीन जोन में है, अगर आपके पास 1-200 के बीच मामले आये है तो आप ऑरेंज और अगर 200 से ऊपर मामले है तो आप रेड इसी के साथ अगर आपके जिले मे कोरोना के मामले 15 दिन से कम समय मे दुगने हो रहे है तो आप रेड अगर 14 से 28 दिनों के बीच मामले दुगुने हो रहे है तो आप ऑरेंज वही अगर आपका जिले मे कोरोना के मामले 28 दिन बाद दुगने हो रहे है तो आप ग्रीन,

वही अगर आपके जिले मे मृत्यु दर 6% से अधिक है तो आप रेड, 1%-6% के बीच है तो आप ऑरेंज और अगर आप 1% से नीचे की मृत्यु दर में है तो ग्रीन
वही सैंपलिंग करने की प्रक्रिया का भी इससे सीधा सीधा मतलब है, अगर आपके जिले मे प्रति लाख आबादी पर 65 से कम टेस्ट हो रहे है तो आप रेड, अगर 65 से 200 के बीच हो रहे ह तो ऑरेंज और अगर 200 से ज़्यादा हो रहे है तो ग्रीन, इसके साथ ही सैंपल पर अगर 6% से अधिक लोगो की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो आप रेड और 2%- 6% के बीच पॉजिटिव आने पर ऑरेंज और 2% से कम होने पर ग्रीन।
ये सभी वो कारण है जिस कारण आज सरकार ने राज्य के जिलों को अलग अलग जोन पर बॉट दिया है, अब आप शायद समझ गए होने क्यों अभी हमे रेड जोन से बहुत दूर है
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Good
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